उड़ान
(प्रेम, संघर्ष और सफलता की कहानी)
पहली मुलाकात:-
अरे आप, आप तो राजिम से हैं ना, मेरे ख्याल से आप पी.एस.सी. कोचिंग के लिए लक्ष्य अकादमी में आती थी, मेरा नाम प्रथम है।
हाँ, मैं लक्ष्य अकादमी जाती थी, मेरा नाम अनु है अनुप्रिया।
आप मुझे कैसे जानते हैं ?
एक्चुअली, मैं भी वहाँ जाता था।
पढ़ने के लिए। अनु ने पूछा।
हाँ, दोनों पढ़ने और पढ़ाने के लिए, चलो अच्छा है हम दोनो को पी.एस.सी. के लिए एक ही सेंटर मिला, हिन्दू हाई स्कूल।
आप अकेले आई हैं परीक्षा दिलाने ?
हाँ बस से आ गई, शाम को बस से लौट जाऊँगी।
टिफिन लाई है क्या ?
नहीं।
मैं भी नहीं लाया हूँ आस-पास ही कहीं कुछ खा लेते हैं आपका क्या ख्याल है?
चलिए ठीक है यहीं नलघर चैक से ऑटो मिल जाएगा।
आगे जयस्तंभ चैक में एक होटल है अच्छा वहीं चलते हैं।
ठीक है चलिए।
ऑटो दस मिनट बाद जयस्तंभ चैक में एक होटल के सामने रूका।
ये कौन सा होटल है। अनु ने पूछा।
गिरनार प्रथम ने उत्तर दिया।
यहाँ का खाना बहुत बढ़िया है। आप नॉनवेज खाती हैं क्या ?
नहीं।
यहाँ चिकन मुगलई बहुत अच्छा मिलता है।
ये नॉनवेज होटल है क्या? तब तो यहाँ मैं खाना नहीं खा पाऊँगी।
अरे नहीं-नहीं ऐसा नहीं है यहाँ दोनों मिलता है पर आज हम सिर्फ वेज खाएंगे, वैसे भी मेरे पास उतने पैसे भी नहीं है कि नॉनवेज खा सकें।
पैसे मेरे पास है अगर आपको नॉनवेज खाना है तो खा लिजिए मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा। अनु ने कहा।
अरे नहीं हम सादा सिम्पल खा लेते हैं सेकेण्ड पेपर भी तो दिलाना है, २ बजे से। पेट-वेट खराब हो गया तो और मुसीबत हो जाएगी।
हाँ आप ठीक बोल रहे हैं। चलिए ठीक है खाते हैं और चलते हैं।
आपकी तैयारी कैसी है अनु जी? इस बार लगता है आप पीएससी निकाल लेंगी?
अरे नहीं कोई तैयारी नही है मैं तो ऐसे ही थोड़ा बहुत पढ़कर एक्जाम दिलाने आ गई। आप बताइए आपकी तैयारी कैसी है ?
बिलकुल भी नहीं जैसा आपका वैसा मेरा।
मैंने तो पहले पेपर में कुछ ज्यादा ही अटेम्पट कर दिया है लगता है माइनस में मार्क्स आऐंगें।
मेरा भी वही हाल है। अनु ने कहा।
कोचिंग में आपने कभी किसी से बात नहीं की, लगता है आप थोड़ी ज्यादा इन्ट्रोवर्ट हैं, है ना ?
नहीं ऐसी बात नही है मैं जल्दी सोशियल नहीं हो पाती और लोगों को लगता है, मैं घमंडी हूँ।
हाँ पर मुझे फील नहीं हुआ।
आप तो काफी अच्छी हैं। सुन्दर चेहरे के साथ सुंदर सीरत भी।
अच्छा, आप मेरा मजाक उड़ा रहे हो ?
अरे नहीं भाई मेरी इतनी हिम्मत कहाँ, मैं तो सच बोल रहा हूँ।
अब चलें कि सेकेण्ड पेपर छोड़ देने का मन है अनु ने कहा।
नहीं नहीं आप सही कह रही है चलते हैं एक्जाम दिलातें हैं।
शाम को साथ ही चलेंगे ना वापस ?
ठीक है, अनु ने कहा।
अच्छा, आल दी बेस्ट।
आपको भी, मिलते हैं।
तीन घंटे बाद पेपर हॉल से बाहर आने पर सैकड़ों लोगों की खचाखच भीड़ को पार करते हुए प्रथम ने कहा।
ओ हाय, कैसा गया पेपर ?
बस ऐसे ही कुछ खास नहीं, मैं तो इतनी भीड़ देखकर ही घबरा जाती हूँ, पता नहीं इतने लोगों में सलेक्शन कैसे होगा ?
हाँ आप सही बोल रही हैं पर आपको तो सिर्फ एक ही पोस्ट चाहिए ना ? वैसे क्या बनना है आपको “डिप्टी कलेक्टर”।
अरे नहीं आखिरी वाला पोस्ट भी मिल जाए ना तो भी मैं खुश हां जाऊँगी। वैसे आप बताओ आपको क्या बनना हैं ?
मुझे, मुझे कुछ नहीं बनना मैडम आप बन जाओगी तो आप ही के साथ घुमकर वी.आई.पी. होने का मजा ले लिया करेंगे।
अच्छा, जनाब बातें तो बड़ी अच्छी कर लेतें हैं। चलिए घड़ी चैक तक चलतें हैं, वहाँ से बस मिल जायेगी।
अच्छा ठीक है चलिए। प्रथम ने कहा।
लो बस भी आ गई चलिए अनु जी बैठते हैं, चलिए।
बस धीमी गति से चलने लगी। शहर के अंदर वैसे भी सवारी बिठाने के लिए होड़ लगी रहती है।
अच्छा आप आजकल क्या कर रही हैं?
कुछ नहीं बस स्कूल में पढ़ा रही हूँ।
कहाँ?
बस घर के पास ही शिशु संस्कार केन्द्र में टाईम पास।
और आप क्या कर रहे हैं ?
मैं भी बस एडहोक में शासकीय महाविद्यालय में पढ़ा रहा हूँ।
मतलब नौकरी और तैयारी साथ-साथ। अनु ने पूछा।
हाँ बस ऐसा ही समझ लिजिए। पर इतना सिरियस नहीं हो पा रहा हूँ कि सलेक्शन हो जाए।
तो हो जाइए सिरियस, हम आपकी गाड़ी में घूमकर वी.आई.पी. होने का मजा ले लेंगे।
अच्छा मेरा पैतरा मुझी पर, गुड जॉब।
सही में, आपका सेंस ऑफ़ हृयूमर बहुत अच्छा है आपको तो अच्छे से तैयारी करनी चाहिए सलेक्शन आराम से हो जाएगा। अनु ने कहा ।
क्या पता यार, क्या होगा ईश्वर जाने इतना काॅम्पीटिशन है कि डर लगने लगा है नौकारी मिलेगी भी कि नहीं।
अच्छा ठीक है मूड ठीक करना हो तो कभी आइये हमारे घर मै ठीक-ठाक खाना बना लेती हूँ ।
अरे वाह! नेकी और पूछ-पूछ। बताइए कब आना है उतने दिन तक मैं खाना ही नहीं खाऊँगा।
भगो यहाँ से, मैं खाने पे क्या बुलाई आप तो घर पर ही आकर बैठ गये।
तो बिठा ही लिजिए घर पे, मैं तो एकदम तैयार हूँ ।
अनु ये सुनकर एकदम झेंप गई।
मेरा मतलब कब आऊँ बता दीजिए, मै बिलकुल टाईम पर पहुँच जाऊगा।
अच्छा तो अगले संडे आ जाइये 12 बजे। क्या है कि आज संडे है और सारा हफ्ता मुझे स्कूल जाना पड़ता है तो किसी वर्किंग डे में तो पॉसिबल ही नहीं है।
ठीक है ठीक है मैं आ जाऊँगा।
वैसे क्या बनायेंगी मेरे लिए।
सोच रही हूँ, इडहर बनाऊँगी।
वो कोचई पत्ती में बेसन लपेटकर जो बनाते हैं ना वही।
क्या आपको भी वो पसंद है। प्रथम ने पूछा।
हाँ मुझे तो खटटी सब्जी बहुत पसंद है।
तो फिर आइये अगले संडे और खाने का मजा लिजिए।
पक्का आऊँगा।
बातचीत करते-करते पता ही नहीं चला कब अपना शहर आ गया। आइये अनु जी नीचे उतरे। चलिए। अच्छा तो अपनी योजना तय रही ना, मैं अगले संडे 12 बजे आपके घर आ रहा हूँ खाना खाने।
हाँ भई जब मैने इनवाइट किया है तो आयंेगे ही ना। आने का मन ना हो तो बता दीजिए अभी प्रोग्राम कैंसल किए देते हैं।
अरे नहीं ऐसा सौभाग्य मुझे फिर बार-बार नहीं मिलेगा। मै तो आऊँगा ही। मिर्च प्याज जरा कम डालिएगा। ज्यादा मिर्च मैं नही खा पाता।
अच्छा और कोई फरमाईश हो तो बता दीजिए आपकी सेवा मे हाजिर कर देंगे। सॉरी बाबा। आपके इनवीटेशन के लिए धन्यवाद। मैं आ जाऊँगा और आप जो भी खिलायेंगी बिना किसी शिकायत के खा जाऊँगा। ठीक है। अब चले।
ठीक है मिलते है संडे को। अनु ने कहा और विदा ली।